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IIT मुंबई से इंजीनियरिंग, लाखों-करोड़ों छोड़ बने संन्यासी, जाने महाकुंभ में पहुंचे अनेकों नाम वाले बाबा की कहानी

Mahakumbh 2025:

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में जहां तीन महान नदियों (गंगा , यमुना और सरस्वती)के मिलन को संगम कहा जाता है। वैसे तो प्रयागराज में कुंभ का मेला 12 वर्ष पर आयोजित किया जाता है परन्तु  ग्रहों के दुर्लभ संयोग के कारण 144 वर्ष बाद पूर्ण कुंभ या महाकुंभ आयोजित हो रहा है। इसमें दुनिया भर के 50 करोड़ लोगों द्वारा स्नान किया जाएगा इसमें दुनिया भर के साधु संत, बाबा, संन्यासी तथा लोगों द्वारा स्नान किया जाता है। इसी महाकुंभ में एक संन्यासी बाबा भी आए हैं जिन्होंने IIT मुंबई से इंजीनियरिंग किया है। आइए जानते हैं बाबा के बारे में...

IIT मुंबई से इंजीनियरिंग, लाखों-करोड़ों छोड़ बने संन्यासी, जाने महाकुंभ में पहुंचे अनेकों नाम वाले बाबा की कहानी,


IIT मुंबई से इंजीनियर वाले बाबा का नाम:

IIT मुंबई से B.Tech  बाबा अपना कई नाम बताते हैं वह कहते है की मेरा सारे नाम है उन्होंने बताया कि मेरा नाम - राघव ,माधव, मसानी गोरख , जगदीश मेरे बहुत सारे नाम हैं।
बाबा का असली नाम अभय सिंह है। बाबा प्रयागराज की नगरी महाकुंभ में स्नान करने आए हैं जिन्होंने अपने बारे में सारी बातें बताएं।

कैसे बने IIT इंजीनियर से बाबा ?

बाबा ने एयरोस्पेसिंग में इंजीनियरिंग किया है बाबा बताते है कि वे दुनिया के मोह माया से दूर हो चुके है बाबा ने यह भी बताया कि जब वह अपने घर में मेडिटेशन करते थे उनके घर वाले उन्हें मना करते थे। बाबा ने यह भी बताया कि उनके घर वाले उन्हें पागल समझते थे और पुलिस को भी बुल लेते थे।
बाबा लाइफ के महत्व को जानते हैं वे हमेशा हसते रहते हैं उन्होंने बताया कि जिंदगी को हमें अर्थ पूर्वक जीना चाहिए।



कौन है बाबा की गर्लफ्रेंड ?

बाबा ने यह भी बताया कि जब वह कॉलेज में पढ़ते थे तब उनकी भी गर्लफ्रेंड थी बाबा ने बताया कि मैं भी लाइफ में सब कुछ देखा है सब कुछ एक मोह माया है फिर उन्होंने सब कुछ त्याग कर संन्यास का रास्ता चुना।

बाबा का शौक ?

बाबा ने बताया कि जब उन्हें इंजीनियरिंग से संतुष्टि नहीं मिली उन्हें जिन चीजों का शौक वाला काम करना शुरू किया, बाबा ने बताया कि मेरा शौक फोटोग्राफी और ट्रैवलिंग का था जब बाबा को फोटोग्राफी और ट्रैवलिंग से भी संतुष्टि नहीं मिली अध्यात्म का मार्ग चुन लिया। साइंस और आध्यात्मिक ज्ञान के बारे में बताते हुए कहा कि सत्य तो यही है आज नहीं तो कल सब को यहीं आना है। उन्होंने किताबें भी लिखी है काम भी किया है। लेकिन उनका मन इन सब चीजों में नहीं लगता था।


महादेव के भक्त :

बाबा अपना आराध्य महादेव को मानते है महादेव ही हमारे सब कुछ है, बाबा प्रयागराज आने से पहले  ऋषिकेश, वाराणसी में थे। बाबा कहते हैं मैं हर जगह घूमता रहता हु।
बाबा ने बताया कि वह हिमालय तक गए हैं उन्होंने बताया कि मैं 20-25 किलोमीटर तक प्रतिदिन चलता हु।
बाबा महादेव के भक्त हैं और अपनी जीवन महादेव को समर्पित कर दिये हैं।

बाबा का अपने परिवार से संबंध : 

बाबा ने बताया कि उनके घर से निकल जाने पर अब उनका उनके परिवार से कोई संपर्क नहीं है उन्होंने आपना घर परिवार सब कुछ त्याग दिया है उन्होंने बताया कि उनका उनके परिवार से डेढ़ साल से कोई बातचीत नहीं हुआ। 

बाबा का ज्ञान :

 बाबा के ज्ञान की बात की जाए तो वे एक ज्ञानी की तरह बात करते हैं बाबा बड़े सरल स्वभाव और हसमुख हैं। वे चेतना, प्रकृति से बात, फ्री स्थिति के बारे में बड़ी ही ज्ञानी की तरह बात करते हैं।


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